ऊँट के मुँह में जीरा कब और क्यों किया जाता है इस मुहावरे का प्रयोग? आज जान ही लीजिये


“ऊँट के मुँह में जीरा” कब और क्यों किया जाता है इस मुहावरे का प्रयोग? आज जान ही लीजिये, आजकल हम किसी भी चीज में पुराने जाहिद किये मुहावरे का इस्तेमाल हमारी निजी ज़िन्दगी में देखने को मिल जाते है। ऐसे में एक मुहावरा आपने कई लोगी के मुँह से सुना होगा “ऊँट के मुँह में जीरा” क्या आपको पता है इसका इस्तेमाल क्यों और कब किया जाता है। चलिए आज हम आपको बताने जा रहे है। आइये जानते है क्यों किया जाता है इस मुहावरे का इस्तेमाल।

“ऊँट के मुँह में जीरा” का क्या है मतलब?

इसे इस तरह समझा जा सकता है कि अगर आप एक ऊँट को जीरा खिलाते हैं, तो जीरे की मात्रा इतनी कम होती है कि ऊँट की भूख को संतुष्ट करने में यह लगभग नगण्य होती है। इसी तरह, जब किसी बड़ी समस्या के समाधान के लिए बहुत ही छोटा प्रयास या संसाधन प्रदान किया जाता है, तो इसे “ऊँट के मुँह में जीरा” कहा जाता है।

कहाँ किया जाता है इस मुहावरे का प्रयोग

उदाहरण के लिए, अगर किसी विशाल परियोजना के लिए बहुत कम बजट आवंटित किया जाए जो कि उस परियोजना की जरूरतों के लिए नाकाफी हो, तो इस स्थिति को “ऊँट के मुँह में जीरा” से वर्णित किया जा सकता है। इसके अलावा एक और उदहारण के तौर पर इसे समझते है जिसमें एक मजदूर जो कम वेतन पर काम करता है और उसे अपने परिवार का भरण-पोषण करने में कठिनाई होती है, उसे “ऊँट के मुँह में जीरा” कहा जा सकता है।

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